वर्ष 1959 में अपनी स्थापना के बाद से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भा.प्रौ.सं.) कानपुर निरंतर असाधारण उपलब्धियों एवं उत्कृष्टता के लिए वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। संस्थान के अकादमिक क्षेत्र ने उल्लेखनीय अनुसंधानिक प्रयासों एवं ज्ञान प्रसार की सामंजस्यपूर्ण श्रंखला ने जड़ें जमा ली हैं, जो नवीनता एवं मौलिकता द्वारा परिभाषित परिदृश्य तैयार कर रही है।
अपनी तकनीकी क्षमता के लिए सार्वभौमिक रूप से प्रशंसित इस संस्थान के पास पूर्व छात्रों की एक विशिष्ट श्रृंखला है, जिन्होंने अमूल्य शोध पत्रों एवं खोजों के माध्यम से इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है। संस्थान की प्रौद्योगिकी विकास पहल (टीडीआई) शिक्षा एवं अनुसंधान के प्रतिमानों को उच्च स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।
स्पष्ट उद्देश्य को साधते हुए, टीडीआई भा.प्रौ.सं. कानपुर की अनुसंधानिक सफलताओं की समृद्धि तथा सर्वाधिक सशक्त प्रचार रणनीति के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। यह रणनीति उत्प्रेरक के रूप में कार्य करती है, तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देती है तथा नवीन वस्तुओं एवं सेवाओं के विकास को प्रोत्साहित करती है।
विशेष रूप से, प्रौद्योगिकी विकास पहल निम्नलिखित उद्देश्यों का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन की गई है:
- भागीदार करने, संपूर्ण प्रौद्योगिकी विकसित करने एवं वितरित करने के लिए।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के चयनित क्षेत्रों में विश्व स्तर पर नेतृत्व करने के लिए।
- देश को उसके विनिर्माण कौशल/आधार को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए।
- बड़ी सामाजिक समस्याओं का तकनीकी समाधान खोजने के लिए।
- जनशक्ति प्रशिक्षण में अंतर कम करने में देश की मदद करने के लिए।
- राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे में सुधार करने, अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, अधिक नौकरियां पैदा करने, पीएसयू/उद्योग के लिए उपयोगी भागीदार साबित होने और रणनीतिक क्षेत्रों (डीएई/डीओडी/डीओएस) को मजबूत करने के लिए।